स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँउमेश पाण्डे
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क्या आप जानते हैं कि सामान्य रूप से जानी वाली कई जड़ी बूटियों में कैसे-कैसे विशेष गुण छिपे हैं?
गरुड़ वृक्ष
गरुड़ वृक्ष के विभिन्न नाम
हिन्दी में- गरुड़ वृक्ष, गुजराती में- सपोली, अंग्रेजी में- Indian snake tree लेटिन में - राडरमचेरा झायलोकारपा (Radermachera xylocarpa)
गरुड़ वृक्ष का संक्षिप्त परिचय
गरुड़ वृक्ष एक विशाल जाति का वृक्ष होता है। यह मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल, केरल, तमिलनाडु इत्यादि राज्यों में पहाड़ी इलाकों के घने जंगलों में कहीं-कहीं पाया जाता है। यह वृक्ष सर्वसुलभ नहीं होता है। यह वृक्ष पर्याप्त ऊँचा होता है। इसका तना कठोर लकड़ी वाला होता है। तने पर कुछ ऊपर की ओर से शाखायें निकलती हैं। पत्तियाँ संयुक्त प्रकार की होती हैं। एक डण्डी पर 3 पत्तियाँ लगी होती हंन जैसे कि बिल्व पत्र लगे होते हैं। पुष्प ऊपर से छितरे-छितरे दलपत्र वाले घण्टी के आकार के होते हैं। इसकी फली जो कि फल होती है, एक मीटर या उससे कुछ अधिक तक लम्बी होती है। यह सर्प के समान कुछ चपटी होती है। फली को चीरने पर इसमें गठानेदार सफेद हड़ी जैसा गूदा होता है। बीजों के ऊपर एक हल्की पारदर्शक पर्त चढ़ी होती है जो कि सर्प की केचुली के समान होती है। फली का रंग हल्का चाकलेटी होता है। इसकी लकड़ी को रेती से रेतने पर इसका चूरा सोने के चूर्ण जैसा चमकदार होता है। इसकी लकड़ी में यह विशेषता है कि यदि सर्प के मुँह के पास इसे रख दें तो सर्प अपने मुँह को पृथ्वी पर रख देता है। वह चुपचाप बिना किसी हलचल के सुस्त पड़ा रहता है। जहाँ-जहाँ भी यह गरुड़ वृक्ष होता है, वहाँ 100-100 मीटर तक सर्प नहीं ठहरता है। यदि वह गलती से इस वृक्ष के नीचे पहुँच जाता है तो निश्चय ही उसकी मृत्यु हो जाती है।
गरुड़ वृक्ष का धार्मिक महत्त्व
> जो व्यक्ति गरुड़ वृक्ष की सम्पूर्ण फली को अपने शयनकक्ष में रखता है उसे दु:स्वप्न नहीं आते, स्वप्न में सर्प के दर्शन नहीं होते।
> गरुड़ वृक्ष की एक फली पर कंकु-अक्षत का टीका निकालकर धन रखने वाली तिजोरी के पास रखने से या तिजोरी में रखने से धन की वृद्धि होती है।
> गरुड़ वृक्ष से मनुष्यों की सर्पो से रक्षा होती है, क्योंकि जिस स्थान पर गरुड़ वृक्ष की फली रखी होती है, वहाँ सर्प नहीं फटकते हैं।
गरुड़ वृक्ष का ज्योतिषीय महत्त्व
जो व्यक्ति कालसर्प दोष से पीड़ित होता है उसके लिर्य गरुड़ वृक्ष की फली को उसके शयनकक्ष में रखना परम हितकर होता है। इस फली के प्रभाव से कालसर्प दोष का शनै: शनै: शमन होता है। इसी प्रकार इसके वृक्ष की काष्ठ के एक टुकड़े को जल में डालकर नित्य उससे स्नान करने वाला भी सर्पदोष से मुक्त रहता है।
गरुड़ वृक्ष का वास्तु में महत्त्व
घर की सीमा में पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में गरुड़ वृक्ष का होना शुभ होता है।
गरुड़ वृक्ष का दिव्य प्रयोग
गरुड़ वृक्ष में जो दिव्य पदार्थ है, वह उसका फल जो कि एक लम्बी फली के रूप में रहता है। यह फली 2 से 3 हाथ लम्बी होती है। पहले इसका वर्ण जब यह पक जाती है तब पीला-भूरा होता है किन्तु कुछ समय तक रखी रहने के बाद यह रंग में कुछ-कुछ गहरा भूरापन लिये हुये अथवा चॉकलेटी वर्ण की हो जाती है। इसका चपटापन भी एक विशिष्ट प्रकार का हो जाता है जिसके कारण यह सर्प की भाँति दिखाई देती है। एक तरफ सर्प के पूछ के समान पतलापन भी आ जाता है। इस पर सर्प की भांति ही चकते पड़ जाते हैं। यह दिव्य फली जिस घर में रखी होती है वहाँ सर्प 100 फीट के दायरे में आ ही नहीं पाता है। यदि गलती से आ जाता है तो वह बिलकुल सुस्त हो जाता है। सर्प के काटे जाने पर इसी फली का बीज सर्प विष को खींच लेता है।
जिस घर में यह फली सुरक्षित होती है उस घर में सर्प न आने के साथ-साथ निम्न बातें परिलक्षित होती हैं:-
1.जिस घर में यह फली होती है उस घर में धन की आवक तेज होती है तथा घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है।
2. इस फली के प्रभाव से शत्रु हावी नहीं हो पाते।
3. जिस घर में यह फली होती है वहाँ किसी को नज़र नहीं लगती है। वह घर भी नजर के प्रभाव से मुक्त रहता है।
4. इसके प्रभाव से वास्तुदोषों में कमी आती है
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- जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां
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